Transformer Details In Hindi 2022 | Transformer Kya Hai
ट्रांसफार्मर एक ऐसा विद्युत यंत्र है जो कि AC सप्लाई की फ्रीक्वेंसी को बिना बदले उसे कम या ज्यादा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल उन DC उपकरण पर किया जाता है जोकि AC सप्लाई द्वारा चलाए जाते हैं जैसे की एंपलीफायर, बैटरी चार्जर इत्यादि. DC उपकरण ऐसी उपकरण के मुकाबले बहुत कम बिजली से चलते हैं . जैसे कि ऑडियो एयर 12 Volt DC से काम करता है इसीलिए ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल कर के पहले AC Volt को 220 Volt से 12 Volt में बदला जाता है और फिर इसे रेक्टिफायर की मदद से AC से DC में बदला जाता है.सबसे पहले ट्रांसफार्मर का आविष्कार Michael Faraday ने 1831 और Joseph Henry ने 1832 में करके दिखाया था.
आज ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल बिजली के हर क्षेत्र में हो रहा है बड़े से बड़े पावर स्टेशन से लेकर एक छोटे से घर में भी ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किसी न किसी रुप में किया जा रहा है
ट्रांसफार्मर के भाग Transformer कितने प्रकार के होते हैं
- ऑटो ट्रांसफार्मर (auto transformer)
- पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (potantial transformer PT)
- करंट ट्रांसफार्मर (current transformer CT)
- कर्षण ट्रांसफार्मर (traction transformer TT)
- ऑटो ट्रांसफार्मर (auto transformer)
इसका उपयोग पॉवर ट्रांसफार्मर में इंटर कनेक्टेड ट्रांसफार्मर के रूप में किया जाता है
- पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (potential transformer)
ये ट्रांसफार्मर इंस्ट्रूमेंट( instrument) ट्रांसफार्मर के अन्तर्गत आता है। इसका उपयोग ट्रांसमिशन लाइन हाई वोल्टेज को मापने के लिए किया जाता है।
- करंट ट्रांसफार्मर (curent transformer)
ये ट्रांसफार्मर भी instrument transfomer के अन्तर्गत आता है। इसका उपयोग ट्रांसमिशन लाइन में हाई करंट को मापने के लिए किया जाता है।
- कर्षण ट्रांसफार्मर (traction transformer)
यह ट्रांसफार्मर इलेक्ट्रिक ट्रेन में 25केवी वोल्टेज को ट्रेन को फीड करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह 200% तक लोड 0.5 sec से लेकर 5 sec तक सहने के लिए स्पेशली डिजाइन किया जाता है
ट्रांसफार्मर के भाग( transformer parts of transformer in hindi)
ट्रांसफार्मर बहुत सारे भागों से मिल कर बना होता है। और ट्रांसफार्मर के सारे भागों का अलग अलग कार्य होता है। अतः ट्रांसफार्मर के ये भाग निम्न है।
- कोर(core)
- वाइंडिंग (winding)
- बुशिंग (bushing)
- Conservator tank
- एक्सप्लोसिव वेंट(explosive vent)
- ब्रीदर (breather)
- बुल्क होज रिले (Bulchoz relay)
- रेडिएटर
- Cooling fan
- Oil
- Oil level indicator
- कोर (core)
Transformer का यह भाग सिलिकॉन स्टील के पत्तियों का बना होता है। इसके पत्तियों को लैमिनेटेड कर के लगाया जाता है। कोर को लैमिनेटेड करने से eddy current loss कम हो जाता है।
- वाइंडिंग (winding)
ट्रांसफार्मर का यह एक अहम भाग होता है। यह कॉपर के वायर होते है जिसको कोर पर लपेटा जाता है। ट्रांसफार्मर मे सामान्यतः दो वाइंडिंग होती है प्राइमरी वाइंडिंग तथा सेकंडरी वाइंडिंग। वाइंडिंग मे टर्न ट्रांसफार्मर के रेटिंग के हिसाब से तय किया जाता है।
- बूशिंग (bushing)
ट्रांसफॉर्मर में से निकलने वाले टर्मिनल को ट्रांसफार्मर के बॉडी से शॉर्ट होने से बचाने के लिए हम bushing का इस्तेमाल करते हैं। यह पोर्सलीन का बना होता है। जो ट्रांसफार्मर के टर्मिनल को ट्रांसफार्मर की बॉडी से अलग करता है। ट्रांसफार्मर में बुशिग ट्रांसफार्मर के वोल्टेज रेटिंग के हिसाब से अलग-अलग प्रकार के लगाए जाते हैं।
- कंजर्वेटर टैंक(conservator tank)
यह टैंक ट्रांसफार्मर मे ट्रांसफार्मर आयल के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह टैंक 100 केबी तथा इसके ऊपर के रेटिंग के ट्रांसफार्मर में प्रयोग किया जाता है। इसकी साइज ट्रांसफार्मर के रेटिंग के हिसाब से बदलती रहती है।
- एक्सप्लोसिव वेंट(Explosive vent)
कंजरवेटर टैंक के ऊपर एक पाइप लगा होता है जो नीचे की तरफ झुका होता है इसे ही एक्सप्लोसिव वेंट कहते हैं। इस वेंट में एक प्रोटेक्शन वॉल लगा होता है। जब ट्रांसफार्मर फाल्ट की स्थिति में होता है या ओवरलोड की स्थिति में होता है तो उस समय ट्रांसफार्मर बहुत ज्यादा हीट उत्पन्न करता है फल स्वरुप ट्रांसफार्मर आयल का तापमान बढ़ने लगता है।
जिसके कारण कंजरवेटर टैंक में आयल गर्म होकर वाष्प में बदलने लगता है तथा वाष्प का दबाव टैंक में बढ़ जाता है। दबाव बढ़ने पर वेंट पाइप में लगा हुआ वाल्व खुल जाता है और टैंक का प्रेशर रिलीज हो जाता है इस प्रकार टैंक के फटने का डर कम हो जाता है।
- ब्रीदर(Breather)
जैसा कि नाम से ही पता लग रहा है कि यह ट्रांसफार्मर के लिए सांस लेने का काम करता है। चुकी ट्रांसफार्मर में वायु को नमी रहित ले जाना होता है। अतः इस ब्रीदर में एक सिलिका जेल (Silica gel) नामक पदार्थ भरा रहता है जो ट्रांसफार्मर में जा रहे वायु में उपस्थित नमी को सोख लेता है तथा शुष्क वायु को ट्रांसफार्मर के अंदर जाने देता है।
ब्रीदर ने लगने वाला सिलिका जेल ब्लू कलर का होता है। जब सिलिका जेल (Silica gel) ज्यादा दिन का हो जाता है तो इसमें नमी की मात्रा अधिक हो जाती है जिसके कारण इसका कलर चेंज हो जाता है और इसका कलर चेंज होकर गुलाबी कलर का हो जाता है जिससे यह पता चलता है कि ब्रदर का सिलिका जेल खराब हो चुका है और इस प्रकार हम ब्रीदर को बदल देते हैं।
- बूल्क होज रिले (buchholz relay)
यह ट्रांसफार्मर में लगने वाला एक प्रोटक्शन डिवाइस होता है। यह रिले ट्रांसफार्मर में मेन टैंक और कंजरवेटर टैंक के बीच में लगा होता है। यह रिले गैसीय दबाव पर काम करता है। जब ट्रांसफार्मर में कोई फाल्ट या ओवरलोड की स्थिति आती है तो ट्रांसफार्मर आयल गर्म होकर वाष्प में बदलता है जिससे buchholz relay इसका पता लगा लेता है और इससे जुड़े अलार्म को बजाने लगता है।Download PDF of this Post
अगर कोई अलार्म पर ध्यान नहीं देता है तो कुछ देर बाद यह सप्लाई को ट्रिप करा देता है। यह रिले बहुत बड़े साइज के ट्रांसफार्मर में जैसे कि 500 kv तथा इससे ऊपर के ट्रांसफार्मर में प्रयोग किया जाता है। ( facebook meta)
- रेडिएटर(Radiator)
रेडिएटर का काम ट्रांसफार्मर में ट्रांसफार्मर आयल को ठंडा करने का होता है। यह पतली पतली लंबी नालियों का घुमावदार संरचना में बना होता है। जो ट्रांसफार्मर के दोनों तरफ लगा होता है। जब इसमें ट्रांसफार्मर आयल जाता है तो चौकिया रेडिएटर हवा के संपर्क में होता है तथा इसके साथ-साथ इस रेडिएटर पर फाइन लगाया रहता है तो यह ट्रांसफार्मर आयल को ठंडा कर देता है।
- कूलिंग फैन
यह कूलिंग फैन रेडिएटर को ठंडा करने के लिए लगाया जाता है। बड़े-बड़े ट्रांसफार्मरों में जापान ऑटोमेटिक होता है। जब ट्रांसफार्मर का तापमान नॉर्मल तापमान से ज्यादा बढ़ता है तो या फ्रेंड ऑटोमेटिक चलने लगता है।
- ट्रांसफार्मर आयल (transformer oil
ट्रांसफार्मर में प्रयोग होने वाला ट्रांसफार्मर आयल ट्रांसफार्मर के कूलिंग के साथ-साथ ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग के लेमिनेशन का भी कार्य करता है। इस ऑयल की डाई इलेक्ट्रिक स्ट्रैंथ 10 kv/mm होती है।
- आयल लेवल इंडिकेटर (Oil level indicator)
ट्रांसफार्मर के कंजरवेटर टैंक में यह ऑयल लेवल इंडिकेटर लगा होता है जो टैंक में उपस्थित आयल की मात्रा को बताता है।
ट्रांसफार्मर में कितना वोल्ट होता है
इसे सुनेंवह होता है 3 Phase 440 वोल्ट और सिंगल फेज 230 वोल्ट. इन सबसे हमे यह समझ आता है कि निर्माण किये गए 11000 वोल्ट को ही 440 वोल्ट और 230 वोल्ट तक कम किया जाता है।
ट्रांसफार्मर के क्या कार्य है
ट्रांसफार्मर एक ऐसा विद्युत यंत्र है जो कि AC सप्लाई की फ्रीक्वेंसी को बिना बदले उसे कम या ज्यादा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल उन DC उपकरण पर किया जाता है जोकि AC सप्लाई द्वारा चलाए जाते हैं जैसे की एंपलीफायर, बैटरी चार्जर इत्यादि. DC उपकरण ऐसी उपकरण के मुकाबले बहुत कम बिजली से चलते हैं
ट्रांसफार्मर का क्या कर्ज है
ट्रांसफार्मर क्या है (What is Transformer in Hindi) Transformer एक ऐसा device होता है जो की electrical energy को transfer करता हैं एक circuit से दुसरे में वो भी एक magnetic field के माध्यम से और बिना कोई बदलाव के frequency में
ट्रांसफार्मर का क्या कर्ज है ?
ट्रांसफार्मर क्या है (What is Transformer in Hindi) Transformer एक ऐसा device होता है जो की electrical energy को transfer करता हैं एक circuit से दुसरे में वो भी एक magnetic field के माध्यम से और बिना कोई बदलाव के frequency में
ट्रांसफार्मर के क्या कार्य है ?
ट्रांसफार्मर एक ऐसा विद्युत यंत्र है जो कि AC सप्लाई की फ्रीक्वेंसी को बिना बदले उसे कम या ज्यादा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल उन DC उपकरण पर किया जाता है जोकि AC सप्लाई द्वारा चलाए जाते हैं जैसे की एंपलीफायर, बैटरी चार्जर इत्यादि. DC उपकरण ऐसी उपकरण के मुकाबले बहुत कम बिजली से चलते हैं
ट्रांसफार्मर में कितना वोल्ट होता है ?
इसे सुनेंवह होता है 3 Phase 440 वोल्ट और सिंगल फेज 230 वोल्ट. इन सबसे हमे यह समझ आता है कि निर्माण किये गए 11000 वोल्ट को ही 440 वोल्ट और 230 वोल्ट तक कम किया जाता है।
ट्रांसफार्मर के भाग( transformer parts of transformer in hindi) ?
कोर(core)
वाइंडिंग (winding)
बुशिंग (bushing)
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